अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच आए दिन नोकझोंक के क्रम में पिछले हफ्ते अचानक तल्खी आ गई। उत्तर कोरिया ने अपने सुप्रीमो किम जोंग की निगरानी में एक के बाद अनेक कम दूरी के मिसाइल पूरब की ओर दागे, जो समुद्र में जाकर गिरे। शनिवार 4 मई को किए गए इन परीक्षणों से हालांकि अमेरिका के ट्रम्प प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि ये तो शॉर्ट रेंज मिसाइल हैं, इनसे हमें कोई खतरा नहीं है, पर इनसे उत्तर कोरिया के पड़ोसी परेशान हैं। इसका मतलब है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद उत्तर कोरिया अपनी मिसाइल तकनीक में उत्तरोत्तर सुधार कर रहा है। सुधार नहीं भी कर रहा है, तब भी अमेरिका को परेशान करने वाली कोई न कोई हरकत कर ही रहा है। उत्तरी कोरिया ने पिछले साल के शुरू में हुई एक सैनिक परेड में शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों और मल्टीपल रॉकेट लांचरों का प्रदर्शन किया था।
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार सेवा केसीएनए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस अभ्यास का उद्देश्य विदेशी आक्रमण की स्थिति में उत्तर कोरिया की तैयारियों को परखना था। इन परीक्षणों के साथ ही किम जोंग ने अपने सैनिकों से कहा है कि इस बात को दिमाग़ में रखें कि वास्तविक शांति और सुरक्षा की गारंटी सिर्फ़ ताक़तवर बल ही दे सकते हैं। खबरों के मुताबिक उत्तर कोरिया के होदो प्रायद्वीप से छोटी दूरी की मिसाइलें जापानी सागर में दागी गईं। पिछले महीने भी उत्तरी कोरिया ने एक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया था।
बहरहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट करके कहा, मुझे यकीन है कि किम जोंग बेहतर रिश्तों को नुक़सान नहीं पहुंचाएंगे।...वे जानते हैं कि मैं उनके साथ हूं और वे मुझसे किया गया वादा नहीं तोड़ेंगे। उन्हें लगता है कि उत्तरी कोरिया परमाणु निशस्त्रीकरण के लिए पड़ रहे दबाव को इस तरीके से दूर करना चाहता है। ट्रम्प की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बावजूद अमेरिकी रक्षा-विभाग इन परीक्षणों को लेकर चिंतित है। इस साल फ़रवरी में दोनों देशों के नेताओं के बीच हनोई में मुलाकात हुई थी, पर कोई समझौता नहीं हो पाया था। हनोई वार्ता के बाद ये पहले और सम्भवतः नवम्बर 2017 के बाद के सबसे बड़े परीक्षण हैं। तब अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण किए गए थे, जो अमेरिका तक मार करने में समर्थ हैं। उसके बाद उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण न करने का वादा किया था। हालांकि कम दूरी के मिसाइल दागने से वह वादा टूटा तो नहीं है, पर एक किस्म की छेड़खानी तो है। इन मिसाइलों ने 70 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय की है। इस परीक्षण को दक्षिण कोरिया उकसावे की कार्रवाई मानता है। किम ने पहले से कह रखा है कि हम इस साल के अंत तक अमेरिका के साथ किसी सम्मानजनक समझौते का इंतजार करेंगे। वह नहीं हुआ, तो अपना रास्ता खुद तय करेंगे। अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पॉम्पियो और अमेरिका के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के साथ उत्तर कोरिया के अधिकारियों की बातें कोई रास्ता निकाल नहीं पाई हैं।
अमेरिका और उत्तर कोरिया के तनाव को कम करने के लिए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रयास भी किया है। पर इन प्रयासों को सफलता नहीं मिली है। उधर दक्षिण कोरिया ने इस इलाके में अमेरिकी सेना के साथ फिर से युद्धाभ्यास किए हैं, जिन्हें लेकर उत्तरी कोरिया को आपत्ति है। दो हफ्ते पहले ही अमेरिकी सेना ने दक्षिण कोरिया में तैनात टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफेन्स या थाड का एक ड्रिल किया था, जिसे लेकर उत्तर कोरिया ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
उत्तर कोरिया ने जिस दिन ये नवीनतम परीक्षण किए हैं उनके एक दिन पहले ही अमेरिका ने कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग एयर बेस से अपने मिनिटमैन-3 इंटर कॉंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। हालांकि ऐसे परीक्षणों की घोषणा काफी पहले से की जाती है और इन्हें किसी खास देश के खिलाफ नहीं माना जाता, पर उत्तर कोरिया ने इस परीक्षण को उकसावे की कार्रवाई माना था। उत्तर कोरिया पर अमेरिका ने कई तरह पाबंदियाँ लगा रखी हैं। वह उनसे बाहर निकलना चाहता है, पर वह अमेरिकी शर्तें भी मानने को पूरी तरह तैयार नहीं है। अमेरिका चाहता है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करे।
नवजीवन में प्रकाशित
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार सेवा केसीएनए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस अभ्यास का उद्देश्य विदेशी आक्रमण की स्थिति में उत्तर कोरिया की तैयारियों को परखना था। इन परीक्षणों के साथ ही किम जोंग ने अपने सैनिकों से कहा है कि इस बात को दिमाग़ में रखें कि वास्तविक शांति और सुरक्षा की गारंटी सिर्फ़ ताक़तवर बल ही दे सकते हैं। खबरों के मुताबिक उत्तर कोरिया के होदो प्रायद्वीप से छोटी दूरी की मिसाइलें जापानी सागर में दागी गईं। पिछले महीने भी उत्तरी कोरिया ने एक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया था।
बहरहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट करके कहा, मुझे यकीन है कि किम जोंग बेहतर रिश्तों को नुक़सान नहीं पहुंचाएंगे।...वे जानते हैं कि मैं उनके साथ हूं और वे मुझसे किया गया वादा नहीं तोड़ेंगे। उन्हें लगता है कि उत्तरी कोरिया परमाणु निशस्त्रीकरण के लिए पड़ रहे दबाव को इस तरीके से दूर करना चाहता है। ट्रम्प की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बावजूद अमेरिकी रक्षा-विभाग इन परीक्षणों को लेकर चिंतित है। इस साल फ़रवरी में दोनों देशों के नेताओं के बीच हनोई में मुलाकात हुई थी, पर कोई समझौता नहीं हो पाया था। हनोई वार्ता के बाद ये पहले और सम्भवतः नवम्बर 2017 के बाद के सबसे बड़े परीक्षण हैं। तब अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण किए गए थे, जो अमेरिका तक मार करने में समर्थ हैं। उसके बाद उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण न करने का वादा किया था। हालांकि कम दूरी के मिसाइल दागने से वह वादा टूटा तो नहीं है, पर एक किस्म की छेड़खानी तो है। इन मिसाइलों ने 70 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय की है। इस परीक्षण को दक्षिण कोरिया उकसावे की कार्रवाई मानता है। किम ने पहले से कह रखा है कि हम इस साल के अंत तक अमेरिका के साथ किसी सम्मानजनक समझौते का इंतजार करेंगे। वह नहीं हुआ, तो अपना रास्ता खुद तय करेंगे। अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पॉम्पियो और अमेरिका के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के साथ उत्तर कोरिया के अधिकारियों की बातें कोई रास्ता निकाल नहीं पाई हैं।
अमेरिका और उत्तर कोरिया के तनाव को कम करने के लिए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रयास भी किया है। पर इन प्रयासों को सफलता नहीं मिली है। उधर दक्षिण कोरिया ने इस इलाके में अमेरिकी सेना के साथ फिर से युद्धाभ्यास किए हैं, जिन्हें लेकर उत्तरी कोरिया को आपत्ति है। दो हफ्ते पहले ही अमेरिकी सेना ने दक्षिण कोरिया में तैनात टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफेन्स या थाड का एक ड्रिल किया था, जिसे लेकर उत्तर कोरिया ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
उत्तर कोरिया ने जिस दिन ये नवीनतम परीक्षण किए हैं उनके एक दिन पहले ही अमेरिका ने कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग एयर बेस से अपने मिनिटमैन-3 इंटर कॉंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। हालांकि ऐसे परीक्षणों की घोषणा काफी पहले से की जाती है और इन्हें किसी खास देश के खिलाफ नहीं माना जाता, पर उत्तर कोरिया ने इस परीक्षण को उकसावे की कार्रवाई माना था। उत्तर कोरिया पर अमेरिका ने कई तरह पाबंदियाँ लगा रखी हैं। वह उनसे बाहर निकलना चाहता है, पर वह अमेरिकी शर्तें भी मानने को पूरी तरह तैयार नहीं है। अमेरिका चाहता है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करे।
नवजीवन में प्रकाशित
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