बुधवार, 28 फ़रवरी 2024

भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और जी-20


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दिल्ली में हो रहे शिखर सम्मेलन में रूस और चीन की भूमिकाओं को लेकर कई तरह के संदेह हैं, पर कुछ नई बातें भी हो रही हैं. भारत ने पहल करके अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की पूर्ण-सदस्यता की पेशकश की है. इस प्रकार दुनिया की एक बड़ी आबादी को जी-20 के साथ जुड़कर अपने विकास का मौका मिलेगा. जी-20 की सदस्यता देश या संगठन की वैधानिकता और प्रभाव को व्यक्त करती है और उसे बढ़ाती भी है.

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के दौरान दुनिया की सुरक्षा केवल सैनिक-संघर्षों को टालने तक की मनोकामना तक सीमित थी. पिछले सात दशकों में असुरक्षा का दायरा क्रमशः बड़ा होता गया है. आर्थिक-असुरक्षा या संकट इनमें सबसे बड़े हैं. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण ऐसा क्षेत्र है, जिसका विस्तार वैश्विक है. हाल के वर्षों में इंटरनेट से जुड़े हमलों और अपराधों के कारण सायबर-सुरक्षा एक और नया विषय सामने आया है.

जी-20 का गठन मूलतः आर्थिक-संकटों का सामना करते हुए हुआ है. पर उसका दायरा बढ़ रहा है. दुनिया के 19 देशों और यूरोपियन यूनियन का यह ग्रुप-20 दुनिया की 85 फीसदी अर्थव्यवस्था और करीब दो तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, पर  अभी तक इसमें अफ्रीका महाद्वीप से केवल दक्षिण अफ्रीका ही इस ग्रुप का सदस्य है.

ग्लोबल साउथ की आवाज़

55 देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन के इसमें शामिल हो जाने से एक बड़ी रिक्ति की पूर्ति होगी. इस ब्लॉक की समेकित जीडीपी करीब तीन ट्रिलियन डॉलर की है. सैनिक तख्ता पलट के कारण इस समय इस संगठन ने अपने पाँच सदस्य देशों को निलंबित कर रखा है.

भारतीय अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की सदस्यता मिलने पर उस दावे को वैश्विक मंजूरी भी मिलेगी कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज बन चुका है. इसके साथ अफ्रीका के देशों में भारत के प्रति भरोसा बढ़ेगा.

‘हार्ड’ और ‘सॉफ्ट’ ताकतों से लैस ‘नया भारत’


भारत-
उदय-01

जी-20 में भारतीय अध्यक्षता का समापन एक नए शीतयुद्ध के प्रस्थान-बिंदु के रूप में हो रहा है. दुनिया फिर से दो ध्रुवों में बँट रही है और उसपर यूक्रेन-युद्ध की छाया है. दिल्ली में हो रहा शिखर सम्मेलन भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित कर रहा है. अलबत्ता उसके धैर्य, विवेक और संतुलन की परीक्षा भी यहाँ होगी.

भारत की भूमिका दो पक्षों के बीच में रहते हुए शांति की राह पर ले जाने वाले मार्ग-दर्शक की है, पर यह पचास के दशक क गुट-निरपेक्ष भारत नहीं है. तब हमारी राज्य-शक्ति सीमित थी. हम केवल नैतिक-शक्ति के सहारे थे. आज हम शक्ति के हार्ड और सॉफ्ट दोनों तत्वों से लैस हैं. दुनिया की महत्वपूर्ण आर्थिक शक्तियों में भारत की गिनती अब हो रही है. और भविष्य की दिशा बता रही है कि भारत अब दुनिया का नेतृत्व करेगा.

महाशक्ति की दिशा

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ ने हाल में ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित अपने एक कॉलम में लिखा है कि भारत महाशक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2050 तक भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका के बराबर पहुँच जाएगी. वे मानते हैं कि बेहतर नीतियों के साथ, यह वृद्धि और भी अधिक हो सकती है.

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