सीरिया में पिटाई के
बाद लगता था कि इस्लामिक स्टेट कहीं न कहीं सिर उठाएगा। उसे अपनी उपस्थिति का
एहसास कराना है। श्रीलंका में रविवार को हुई हिंसा की जिम्मेदारी लेकर उसने इस बात
को साबित किया है। अभी तक दक्षिण एशिया उसके निशाने से बचा हुआ था। यों 2016 में
बांग्लादेश की घटनाओं के बाद कहा गया था कि वहाँ इस्लामिक स्टेट जड़ें जमा रहा है।
कश्मीर घाटी में अक्सर उसके काले झंडे नजर आते हैं। फिर भी इस्लामिक स्टेट के खतरे
को बहुत गम्भीरता से नहीं देखा गया। श्रीलंका की हिंसा भारत के लिए ही नहीं दक्षिण
एशिया के सभी देशों के लिए चेतावनी है।
श्रीलंका में तकरीबन
दस साल से चली आ रही शांति जिस भयानक हत्याकांड से भंग हुई है, वह समूचे
भारत-भूखंड के लिए खतरे की घंटी है। दुनिया की सबसे बहुरंगी-बहुल संस्कृति वाला
समाज इसी इलाके में रहता है। करीब तीन दशक तक चले तमिल-गृहयुद्ध के बाद उम्मीद थी
कि श्रीलंका के निवासी जातीय-साम्प्रदायिक आधारों पर अपने आपको बाँटने के बजाय
सामूहिक सुख-समृद्धि के रास्ते तैयार करेंगे। इन कोशिशों को तोड़ने के प्रयास अब
फिर शुरू हो गए हैं। बहरहाल श्रीलंका की प्रशासनिक-व्यवस्था ने इस हिंसा के बाद
सम्भावित टकराव को रोकने में सफलता हासिल की है।