मंगलवार, 1 जनवरी 2019

2018 की वैश्विक हलचल


पैक्स अमेरि epaper.navjivanindia.com//imageview_194_15853939_4_71_30-12-2018_i_1_sf.htmlकाना का उतार
यानी कि अमेरिकी पराभव का प्रारम्भ। इस साल की घटनाओं को मिलाकर पढ़ने से जाहिर होता है कि यह साल अमेरिका के वैश्विक रसूख में गिरावट का साल था। साल में अंत में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी की घोषणा करके इस बात की पुष्टि भी कर दी। उनके इस फैसले से असहमत रक्षामंत्री जेम्स मैटिस और एक अन्य उच्च अधिकारी ब्रेट मैकगर्क ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मैकगर्क सीरिया में आईएस के खिलाफ बनाए गए वैश्विक गठबंधन में अमेरिका के विशेष दूत थे।
डेमोक्रेटों की वापसी
नवम्बर में हुए अमेरिका के मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों को आंशिक सफलताएं मिलीं। जहाँ सीनेट में डोनाल्ड ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन को और प्रतिनिधि सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत प्राप्त हो गया है। इसका अर्थ है कि ट्रम्प प्रशासन को न्यायिक और प्रशासनिक नियुक्तियाँ करने में दिक्कत नहीं होगी, पर नीतियों और खर्च से जुड़े जिन मामलों में प्रतिनिधि सदन की सहमति की जरूरत होती है, वहाँ उन्हें दिक्कत का सामना करना होगा। इससे यह भी साबित हुआ है कि ट्रम्प की लोकप्रियता कम हो रही है।
वेनेजुएला में संकट
वेनेजुएला में अर्थव्यवस्था संकट में है। लाखों लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, महंगाई हज़ारों गुना बढ़ गई है। वहां एक कॉफी के कप की क़ीमत 25 लाख रुपये हो चुकी है। इस साल मई में हुए चुनाव में वहाँ निकोलस माडुरो फिर से राष्ट्रपति बने हैं। इस देश में बड़ी संख्या में तेल के भंडार हैं, लेकिन यही ताक़त आर्थिक समस्याओं का कारण भी बन गई है। तेल से मिलने वाला राजस्व उसके निर्यात का 95 प्रतिशत है। सन 2014 में तेल की क़ीमतें गिरने के बाद से उसके विदेश मुद्रा भंडार में भारी कमी होने लगी है।
यमन में शांति-स्थापना
पश्चिम एशिया के देश यमन में साल के अंत में संरा के प्रयासों से शांति-स्थापना के लिए समझौता हो जरूर गया है, पर छिटपुट हिंसा अब भी जारी है। सन 2014 से यह देश हिंसा की चपेट में है, जिसके कारण लाखों लोग भुखमरी की चपेट में हैं। अनुमान है कि सऊदी अरब-नीत गठबंधन और हूती विद्रोहियों के बीच संघर्ष में 14 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और युद्ध के कारण पैदा हुए अकाल ने 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। यमन के अलावा मध्य अफ्रीका के कांगो और दक्षिण सूडान में भी युद्ध के कारण मानवीय त्रासदी पैदा हो गई है।
मीटू आंदोलन का वैश्विक-प्रसार
एक साल पहले हॉलीवुड के निर्माता हार्वे वांइंसटाइन पर कुछ महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए। न्यूयॉर्क टाइम्स और न्यूयॉर्कर ने इस आशय की खबरें प्रकाशित कीं। देखते ही देखते यह आंदोलन दुनियाभर के देशों में फैल गया है। ट्विटर पर हैशटैग मीटू के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन अब कार्यक्षेत्र पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ वैश्विक अभियान की शक्ल ले चुका है। यह वाक्यांश अब स्त्री-मुक्ति का आप्त-वाक्य बन चुका है। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि इस साल नोबेल शांति पुरस्कार डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद को यौन हिंसा के खिलाफ कोशिशों के लिए दिया गया है।
सऊदी अरब में बदलाव
यह साल सऊदी अरब में आ रहे बदलावों के लिए भी याद रखा जाएगा। वहाँ स्त्रियों के प्रति बर्ताव में बदलाव आ रहा है। देश के युवा क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) के नेतृत्व में विजन-2030 तैयार किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था केवल पेट्रोलियम के सहारे न रहे। वहीं अक्तूबर के महीने में तुर्की के शहर इस्तानबूल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूत कार्यालय में सऊदी मूल के पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या के विवाद में राजघराना बुरी तरह घिर गया है। इस हत्याकांड को दबाने का प्रयास करने के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति भी आलोचना के दायरे में हैं।
ईरानी नाभिकीय-संधि टूटी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले साल अपने चुना अभियान के दौरान ही घोषणा कर दी थी कि मैं ईरान के साथ नाभिकीय-संधि तोड़ दूँगा। इस साल मई में उन्होंने यह कारनामा करके दिखा दिया। ट्रम्प ने यह कदम अपने कई सलाहकारों और रक्षामंत्री जेम्स मैटिस की राय के खिलाफ उठाया। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मन नेताओं ने भी उन्हें रोका। ट्रम्प ने संधि ही नहीं तोड़ी, ईरान पर पाबंदियों की घोषणा भी कर दी। अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पोम्पिओ का कहना है कि हमारा उद्देश्य केवल ईरान की नाभिकीय-शक्ति को समाप्त करना नहीं, वहाँ लोकतंत्र की स्थापना करना है। 
चीन-अमेरिका ट्रेड-वॉर
यह साल चीन और अमेरिका के बीच छिड़े कारोबारी-संग्राम के लिए भी याद किया जाएगा। इसमें निशाना चीन है, पर कमोबेश दूसरे देश भी इससे प्रभावित होंगे। साल जनवरी में ही अमेरिका ने वॉशिंग मशीनों और सोलर पैनल के आयात पर  टैक्स बढ़ाने की घोषणा की। इसके बाद मार्च में स्टील और अल्युमिनियम पर टैक्स बढ़ाया। जुलाई में उन्होंने युरोपियन संघ के साथ इस सिलसिले में एक समझौता भी किया। फिलहाल ब्यूनस आयर्स में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के हाशिए पर ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात के बाद 90 दिन का युद्ध-विराम चल रहा है।
ब्रेक्जिट पर लुका-छिपी
इस साल यूरोप में ब्रेक्जिट काफी बड़ी खबर बना रहा। सन 2015 में ब्रिटिश जनता ने एक जनमत संग्रह में युरोपियन संघ से अलग होने का फैसला किया था। उस फैसले को लागू करने की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, दिक्कतें बढ़ती जा रहीं हैं। यूरोपीय संघ के सदस्यों ने रविवार 25 नवम्बर को ब्रेक्जिट समझौते को मंजूरी दे दी। बेशक यह समझौता ईयू ने स्वीकार कर लिया है, पर ब्रिटिश संसद से इसकी पुष्टि अब सबसे बड़ा काम है। युनाइटेड किंगडम की संसद इस प्रस्ताव पर 12 दिसम्बर को फैसला करना था, पर अब यह जनवरी तक टल गया है।
जलवायु परिवर्तन
यह साल वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खतरों का संदेश भी लेकर आया था। अक्तूबर में संयुक्त राष्ट्र के इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे पास अभी करीब 12 साल का समय है कि हम दुनिया के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं। सन 2015 में दुनिया के देशों में इस सिलसिले में पेरिस संधि की थी, जिसे 2020 में लागू करना है। पोलैंड के कैटोविस में 2 से 15 दिसम्बर, 2018 तक वैश्विक जलवायु सम्मेलन हुआ, पेरिस संधि को लागू करने के लिए एक नियम-पुस्तिका बनाई गई है।

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