शनिवार, 24 नवंबर 2018

खाशोज्जी-हत्या में क्राउन प्रिंस पर संदेह का घेरा


पश्चिम एशिया में इसरायल के बाद सऊदी अरब ऐसा देश है, जिसे अमेरिका का सबसे करीबी माना जाता है। पर इधर पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या की जुड़ती कड़ियों के कारण कई तरह के असमंजस उसके सामने खड़े हो रहे हैं। पिछले हफ्ते सीआईए की एक रिपोर्ट में कहा गया कि इस हत्या की जानकारी सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान को थी। ट्रम्प प्रशासन ने इस रिपोर्ट की अनदेखी कर दी है, पर मामला दब नहीं रहा है। सीनेट की विदेश सम्बंध समिति के अध्यक्ष बॉब कॉर्कर ने अपने ट्वीट में कहा है, इस हत्या के आरोप में क्राउन प्रिंस किसी को मौत की सज़ा दें, उसके पहले ट्रम्प प्रशासन को अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए।

इतना ही नहीं सीनेटर एड मार्की ने ट्रम्प प्रशासन से माँग की है कि सऊदी अरब के साथ सिविल न्यूक्लियर सहयोग की वार्ता बंद करें और उसे नाभिकीय रिएक्टर बेचने की योजना पर रोक लगाएं। व्यक्तिगत रूप से ट्रम्प के सऊदी राजघराने से अच्छे रिश्ते हैं। अमेरिका ने सऊदी नीतियों की आलोचना नहीं की है, पर अमेरिका की संसद यमन में सऊदी सैनिक हस्तक्षेप और अब खाशोज्जी की हत्या के सवाल पर परोक्ष रूप से अपनी चिंता व्यक्त कर रही है।


सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के जोन आल्टरमैन ने कहा है कि लगता है कि आने वाले समय में डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रम्प की विदेश नीति पर हमले बोलते समय सऊदी अरब के घटनाक्रम का सहारा लेगी। इसमें रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों का समर्थन भी उसके साथ होगा। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में  डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत होने के बाद आलोचना के स्वर अब और ऊँचे होंगे। विदेश नीति से जुड़े मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि और कुछ हो या न हो, कम से कम यमन में सऊदी हस्तक्षेप को रोकने या हमले बंद कराने में यह दबाव काम करेगा। जमाल खाशोज्जी के अंतिम ऑप-एड लेख में यमन में सऊदी अरब की भूमिका का उल्लेख किया या था। इसके साथ ही सऊदी अरब दबाव बनेगा कि वह क़तर के साथ अपने विवादों को फौरन सुलझाए।

अमेरिका और सऊदी अरब के आर्थिक रिश्ते बहुत गहरे हैं। जब भी इसरायली सरकार और फलस्तीनियों के टकराव में जरूरत पड़ती है, तब अमेरिका सऊदी अरब का सहारा लेता है। ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर उनके सलाहकार भी हैं। उनकी सऊदी क्राउन प्रिंस के साथ अच्छी दोस्ती है। दोनों देशों के बीच हथियारों का बहुत बड़ा कारोबार है। ट्रम्प इस बात को खुलकर कह चुके हैं कि हमारे रियाद के साथ अच्छे रिश्तों की एक वजह यह भी है कि वहाँ से हमें काफी बिजनेस मिलता है।

राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प की पहली विदेश यात्रा सऊदी अरब की थी। ट्रम्प प्रशासन ईरान पर दबाव बनाने के लिए सऊदी अरब का इस्तेमाल करता है। पिछले हफ्ते ट्रम्प प्रशासन ने सेना के एक रिटायर्ड जनरल जॉन अबीजायद को रियाद में अपना राजदूत नियुक्त किया है। जॉन अबीजायद अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख रह चुके हैं।

भले ही सऊदी के सरकारी जाँचकर्ताओं ने माना है कि क्राउन प्रिंस सलमान को तो हत्या के बारे में भनक तक नहीं थी, फिर भी दुनिया भर के विशेषज्ञों की संदेह की सुई उनपर ही रुक रही है। सीआईए की रिपोर्ट से कई पश्चिमी देश सहमत हैं। इसकी वजह है वॉशिंगटन में मौजूद प्रिंस सलमान के भाई प्रिंस ख़ालिद बिन सलमान और खाशोज्जी के बीच फ़ोन पर हुई बातचीत। ख़ालिद बिन सलमान ने खाशोज्जी को भरोसा दिलाया था कि दूतावास में वे सुरक्षित रहेंगे। बाद में उसी जगह उनकी हत्या हुई थी। इतना ही नहीं एक और फोन कॉल दूतावास में खाशोज्जी को पीटने वाली टीम की ओर से रियाद में मौजूद प्रिंस सलमान के किसी ख़ास व्यक्ति को की गई थी।

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