ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने में अब एक महीने से कम का समय बचा है और अभी तक तय नहीं है कि यह विलगाव कैसे होगा। धीरे-धीरे लगने लगा है कि देश एक और जनमत संग्रह की ओर बढ़ रहा है। प्रमुख विरोधी दल लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने कहा है कि अब इस विषय पर एक और जनमत संग्रह होना चाहिए। उनका कहना है कि यदि हमारे बताए तरीके से अलगाव नहीं हुआ तो हम दूसरे जनमत संग्रह की माँग करेंगे।
उधर प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने वायदा किया है कि 12 मार्च तक संसद में इस विषय पर एकबार फिर से मतदान कराने का प्रयास किया जाएगा। खबरें यह भी है कि वे ब्रेक्जिट की तारीख 29 मार्च से खिसका कर आगे बढ़ाने का प्रयास भी कर रही हैं, ताकि बगैर किसी समझौते के ब्रेक्जिट के हालात न बनें। अंदेशा इस बात का है कि ऐसा हुआ तो बड़ी संख्या में मंत्री सरकार से इस्तीफा दे देंगे। जो हालात बन गए हैं, उन्हें देखते हुए लगता नहीं कि ब्रेक्जिट अब सामान्य तरीके से हो पाएगा।
इस मामले को लेकर एक और जनमत संग्रह की बातें काफी पहले से हो रही हैं। ज्यादातर लोगों को समझ में आ रहा है कि देश की जनता को एकबार फिर से सोचने का मौका दिया जाए कि ब्रिटेन का अलग होना ठीक है भी या नहीं और ठीक है, तो क्या वैसे समझौते के साथ होना चाहिए, जो टेरेसा में ने ईयू के साथ किया है? जेरेमी कोर्बिन ने इस बात का समर्थन करके इस सम्भावना को और ताकत दे दी है। इस बीच लेबर पार्टी के सांसद वेट कूपर ने प्रयास शुरू किया है कि संसद टेरेसा में से कहा कि वे अनुच्छेद 50 के तहत विचार-विमर्श की अवधि बढ़ाकर 29 मार्च से प्रस्तावित ब्रेक्जिट को आगे बढ़ा दें। इन पंक्तियों के प्रकाशन तक संसद ने इस सिलसिले में सम्भवतः विचार किया भी होगा। कम से कम यह विचार जरूर किया होगा कि अगले कदम अब क्या हो सकते हैं। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन पर एक अरसे से दबाव है कि वे एक और जनमत संग्रह की माँग करें। हाल में इस माँग के समर्थक आठ सांसदों ने पार्टी छोड़ दी। उधर टेरेसा में की सरकार के कई मंत्री पद छोड़ने को तैयार बैठे हैं। पूरा देश संशय में है कि आखिर यह हो क्या रहा है।
यदि ब्रेक्जिट की समय सीमा बढ़ाई गई तो इससे सरकार की फज़ीहत होगी। पिछले दो साल से टेरेसा में इस समझौते की बारीकियों को सुलझाने में लगी थीं और उन्होंने बार-बार कहा था कि ब्रेक्जिट सही समय पर होगा। बहरहाल ब्रेक्जिट टलने की खबरों से ब्रिटेन के कारोबारियों ने ठंडी साँस ली है। पाउंड की कीमत में सुधार हुआ है। अलबत्ता यदि ब्रेक्जिट टला, तो सरकार के भीतर का टकराव खुलकर सामने आ जाएगा।
बड़ी संख्या में सांसद ब्रेक्जिट का समर्थन कर रहे हैं और उसके विपरीत बड़ी संख्या में ऐसे सांसद हैं, जो अलगाव नहीं चाहते हैं। यह स्थिति सत्तारूढ़ पार्टी और विरोधी लेबर दोनों के भीतर है। बहरहाल इस पार या उस पार फैसला करने की घड़ी अब आ गई है। इतना तय है कि बगैर किसी डील के ब्रिटेन यूरोप से अलग होगा, तो अराजकता फैलेगी। डील को संसद ने नामंजूर कर दिया है। सम्भव है कि टेरेसा में ईयू से कहें कि कुछ समय बढ़ा दें और वे मान भी जाएं, पर ब्रेक्जिट की अवधि बढ़ी तब सत्तारूढ़ दल के भीतर बगावत होगी। सरकार गिर भी सकती है। इसे टालने की अवधि को लेकर भी कई तरह की बातें हैं। यह टालना छोटी अवधि के लिए होगा या लम्बी अवधि के लिए यह भी स्पष्ट नहीं है। इसीलिए लगता है कि शायद यह मामला जनता की अदालत में फिर से जाएगा।
उधर प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने वायदा किया है कि 12 मार्च तक संसद में इस विषय पर एकबार फिर से मतदान कराने का प्रयास किया जाएगा। खबरें यह भी है कि वे ब्रेक्जिट की तारीख 29 मार्च से खिसका कर आगे बढ़ाने का प्रयास भी कर रही हैं, ताकि बगैर किसी समझौते के ब्रेक्जिट के हालात न बनें। अंदेशा इस बात का है कि ऐसा हुआ तो बड़ी संख्या में मंत्री सरकार से इस्तीफा दे देंगे। जो हालात बन गए हैं, उन्हें देखते हुए लगता नहीं कि ब्रेक्जिट अब सामान्य तरीके से हो पाएगा।
इस मामले को लेकर एक और जनमत संग्रह की बातें काफी पहले से हो रही हैं। ज्यादातर लोगों को समझ में आ रहा है कि देश की जनता को एकबार फिर से सोचने का मौका दिया जाए कि ब्रिटेन का अलग होना ठीक है भी या नहीं और ठीक है, तो क्या वैसे समझौते के साथ होना चाहिए, जो टेरेसा में ने ईयू के साथ किया है? जेरेमी कोर्बिन ने इस बात का समर्थन करके इस सम्भावना को और ताकत दे दी है। इस बीच लेबर पार्टी के सांसद वेट कूपर ने प्रयास शुरू किया है कि संसद टेरेसा में से कहा कि वे अनुच्छेद 50 के तहत विचार-विमर्श की अवधि बढ़ाकर 29 मार्च से प्रस्तावित ब्रेक्जिट को आगे बढ़ा दें। इन पंक्तियों के प्रकाशन तक संसद ने इस सिलसिले में सम्भवतः विचार किया भी होगा। कम से कम यह विचार जरूर किया होगा कि अगले कदम अब क्या हो सकते हैं। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन पर एक अरसे से दबाव है कि वे एक और जनमत संग्रह की माँग करें। हाल में इस माँग के समर्थक आठ सांसदों ने पार्टी छोड़ दी। उधर टेरेसा में की सरकार के कई मंत्री पद छोड़ने को तैयार बैठे हैं। पूरा देश संशय में है कि आखिर यह हो क्या रहा है।
यदि ब्रेक्जिट की समय सीमा बढ़ाई गई तो इससे सरकार की फज़ीहत होगी। पिछले दो साल से टेरेसा में इस समझौते की बारीकियों को सुलझाने में लगी थीं और उन्होंने बार-बार कहा था कि ब्रेक्जिट सही समय पर होगा। बहरहाल ब्रेक्जिट टलने की खबरों से ब्रिटेन के कारोबारियों ने ठंडी साँस ली है। पाउंड की कीमत में सुधार हुआ है। अलबत्ता यदि ब्रेक्जिट टला, तो सरकार के भीतर का टकराव खुलकर सामने आ जाएगा।
बड़ी संख्या में सांसद ब्रेक्जिट का समर्थन कर रहे हैं और उसके विपरीत बड़ी संख्या में ऐसे सांसद हैं, जो अलगाव नहीं चाहते हैं। यह स्थिति सत्तारूढ़ पार्टी और विरोधी लेबर दोनों के भीतर है। बहरहाल इस पार या उस पार फैसला करने की घड़ी अब आ गई है। इतना तय है कि बगैर किसी डील के ब्रिटेन यूरोप से अलग होगा, तो अराजकता फैलेगी। डील को संसद ने नामंजूर कर दिया है। सम्भव है कि टेरेसा में ईयू से कहें कि कुछ समय बढ़ा दें और वे मान भी जाएं, पर ब्रेक्जिट की अवधि बढ़ी तब सत्तारूढ़ दल के भीतर बगावत होगी। सरकार गिर भी सकती है। इसे टालने की अवधि को लेकर भी कई तरह की बातें हैं। यह टालना छोटी अवधि के लिए होगा या लम्बी अवधि के लिए यह भी स्पष्ट नहीं है। इसीलिए लगता है कि शायद यह मामला जनता की अदालत में फिर से जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें