पूर्वी यूरोप के छोटे से देश स्लोवाकिया ने पिछले 30 मार्च को एंटी-करप्शन प्रत्याशी ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा राष्ट्रपति के रूप में चुना है। वे देश की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। स्लोवाकिया सभी तरफ़ से ज़मीन से घिरा देश है। इसका कुल क्षेत्रफल 49,035 वर्ग किलोमीटर है। इसके उत्तर में पोलैंड, दक्षिण में हंगरी, पूर्व में यूक्रेन और पश्चिम में चेक गणराज्य एवं ऑस्ट्रिया हैं। दान्यूब नदी इसकी राजधानी ब्रातिस्लावा से गुज़रती है और हंगरी के साथ स्लोवाकिया की सीमा बनाती है। देश का लगभग 30 फीसदी इलाका पहाड़ी है।
कैप्यूतोवा की विजय ने यूरोप की राजनीति में बढ़ती महिला-शक्ति को भी रेखांकित किया है। यूरोपीय संघ के 28 देशों में से उन्हें मिलाकर आठ देशों में राष्ट्र प्रमुख अब महिलाएं हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, क्रोआसिया, एस्तोनिया, रोमानिया, माल्टा और लिथुआनिया के बाद अब स्लोवाकिया में भी राष्ट्रीय नेता महिला बनी हैं। इनके अलावा नॉर्वे, आइसलैंड, सर्बिया और जॉर्जिया जैसे गैर-ईयू देशों में भी महिला नेतृत्व है।
ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा का चुनाव जीतना देश में बदलाव की उम्मीदें लेकर आया है। भ्रष्टाचार से पीड़ित देश को उनसे काफी उम्मीदें हैं। पिछले साल एक पत्रकार की हत्या के बाद से पूरा देश भ्रष्टाचार और घूसखोरी को लेकर उद्विग्न चल रहा है। 45 वर्षीय कैप्यूतोवा ने सत्ताधारी वामपंथी स्मर-सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के मारोस सेफ्कोविच को परास्त किया है। सेफ्कोविच यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष भी हैं। चुनाव हारने के बाद सेफ्कोविच ने घोषणा की कि मैंने ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा के पास अपनी शुभकामनाओं के साथ फूलों का एक गुलदस्ता भेजा है। पहली महिला स्लोवाक राष्ट्रपति का यह हक बनता है।
सेफ्कोविच काफी बड़े नेता हैं और उनके मुकाबले ज़ुज़ाना नई और नौसिखिया हैं। वे प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी की सदस्य हैं, जिसकी पार्लियामेंट में एक भी सीट नहीं है। पर इस चुनाव में कुल पड़े वोटों का 58.4 फीसदी वोट उन्हें मिला है। इस लिहाज से यह बड़ी जीत है। ज़ुज़ाना को पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों के लिए याद किया जाता है और उनकी तुलना अमेरिकी पर्यावरणवादी एरीन ब्रोकोविच से की जाती है। उनकी यह जीत यूरोप में चल रही राष्ट्रवादी राजनीति की धारा के विपरीत भी है। पिछले कुछ वर्षों में हंगरी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया में राष्ट्रवादी दलों की जीत हुई है। वस्तुतः देश की जनता भ्रष्टाचार से आजिज़ आ चुकी थी। कैप्यूतोवा में उन्हें उम्मीद की किरणें दिखाई पड़ीं हैं। ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा ने इन चुनावों को अच्छाई और बुराई के बीच का एक संघर्ष बताया था।
पिछले साल पत्रकार खोजी पत्रकार जान कुचियाक की हत्या के बाद से यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया था। वह पत्रकार व्यापारियों और राजनेताओं के बीच रिश्तों को लेकर पड़ताल कर रहा था। कैप्यूतोवा ने चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे पहले पत्रकार के स्मारक पर जाकर मोमबत्ती जलाई। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था कि यों तो मेरे चुनाव में खड़े होने के बहुत से कारण हैं लेकिन एक बहुत बड़ा कारण पत्रकार जान कुचियाक की मौत भी है।
सन 1993 में स्वतंत्र देश बने स्लोवाकिया में कैप्यूतोवा देश की पाँचवीं राष्ट्रपति होंगी। अलबत्ता यह अब भी शोभा का पद ही है। राष्ट्रपति को कुछ मामलों में वीटो करने का अधिकार है और वह देश की सेना का प्रमुख होता है। स्लोवाकिया एक संसदीय गणतंत्र है। इसकी राष्ट्रीय परिषद में 150 सदस्य होते हैं, जिन्हें हर 4 साल में आम चुनाव द्वारा चुना जाता है। राष्ट्रीय परिषद में बहुमत से सरकार बनती है और इस सरकार के प्रमुख प्रधानमन्त्री होते हैं। सन् 2002 तक सांसद राष्ट्रपति का चुनाव किया करते थे और राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम 90 सांसदों के मत हासिल करने होते थे। 2002 में स्लोवाकिया के संविधान में संशोधन किया गया और अब राष्ट्रपति जनता द्वारा चुने जाते हैं।
कैप्यूतोवा की विजय ने यूरोप की राजनीति में बढ़ती महिला-शक्ति को भी रेखांकित किया है। यूरोपीय संघ के 28 देशों में से उन्हें मिलाकर आठ देशों में राष्ट्र प्रमुख अब महिलाएं हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, क्रोआसिया, एस्तोनिया, रोमानिया, माल्टा और लिथुआनिया के बाद अब स्लोवाकिया में भी राष्ट्रीय नेता महिला बनी हैं। इनके अलावा नॉर्वे, आइसलैंड, सर्बिया और जॉर्जिया जैसे गैर-ईयू देशों में भी महिला नेतृत्व है।
ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा का चुनाव जीतना देश में बदलाव की उम्मीदें लेकर आया है। भ्रष्टाचार से पीड़ित देश को उनसे काफी उम्मीदें हैं। पिछले साल एक पत्रकार की हत्या के बाद से पूरा देश भ्रष्टाचार और घूसखोरी को लेकर उद्विग्न चल रहा है। 45 वर्षीय कैप्यूतोवा ने सत्ताधारी वामपंथी स्मर-सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के मारोस सेफ्कोविच को परास्त किया है। सेफ्कोविच यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष भी हैं। चुनाव हारने के बाद सेफ्कोविच ने घोषणा की कि मैंने ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा के पास अपनी शुभकामनाओं के साथ फूलों का एक गुलदस्ता भेजा है। पहली महिला स्लोवाक राष्ट्रपति का यह हक बनता है।
सेफ्कोविच काफी बड़े नेता हैं और उनके मुकाबले ज़ुज़ाना नई और नौसिखिया हैं। वे प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी की सदस्य हैं, जिसकी पार्लियामेंट में एक भी सीट नहीं है। पर इस चुनाव में कुल पड़े वोटों का 58.4 फीसदी वोट उन्हें मिला है। इस लिहाज से यह बड़ी जीत है। ज़ुज़ाना को पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों के लिए याद किया जाता है और उनकी तुलना अमेरिकी पर्यावरणवादी एरीन ब्रोकोविच से की जाती है। उनकी यह जीत यूरोप में चल रही राष्ट्रवादी राजनीति की धारा के विपरीत भी है। पिछले कुछ वर्षों में हंगरी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया में राष्ट्रवादी दलों की जीत हुई है। वस्तुतः देश की जनता भ्रष्टाचार से आजिज़ आ चुकी थी। कैप्यूतोवा में उन्हें उम्मीद की किरणें दिखाई पड़ीं हैं। ज़ुज़ाना कैप्यूतोवा ने इन चुनावों को अच्छाई और बुराई के बीच का एक संघर्ष बताया था।
पिछले साल पत्रकार खोजी पत्रकार जान कुचियाक की हत्या के बाद से यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया था। वह पत्रकार व्यापारियों और राजनेताओं के बीच रिश्तों को लेकर पड़ताल कर रहा था। कैप्यूतोवा ने चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे पहले पत्रकार के स्मारक पर जाकर मोमबत्ती जलाई। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था कि यों तो मेरे चुनाव में खड़े होने के बहुत से कारण हैं लेकिन एक बहुत बड़ा कारण पत्रकार जान कुचियाक की मौत भी है।
सन 1993 में स्वतंत्र देश बने स्लोवाकिया में कैप्यूतोवा देश की पाँचवीं राष्ट्रपति होंगी। अलबत्ता यह अब भी शोभा का पद ही है। राष्ट्रपति को कुछ मामलों में वीटो करने का अधिकार है और वह देश की सेना का प्रमुख होता है। स्लोवाकिया एक संसदीय गणतंत्र है। इसकी राष्ट्रीय परिषद में 150 सदस्य होते हैं, जिन्हें हर 4 साल में आम चुनाव द्वारा चुना जाता है। राष्ट्रीय परिषद में बहुमत से सरकार बनती है और इस सरकार के प्रमुख प्रधानमन्त्री होते हैं। सन् 2002 तक सांसद राष्ट्रपति का चुनाव किया करते थे और राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम 90 सांसदों के मत हासिल करने होते थे। 2002 में स्लोवाकिया के संविधान में संशोधन किया गया और अब राष्ट्रपति जनता द्वारा चुने जाते हैं।
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